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मैं कभी कभी अपने किसी रिश्तेदार के लिए या अपने माता पिता के लिए या अपने मृतक दादा दादी के लिए तवाफ करता हूँ तो इस का क्या हुक्म है ? तथा उन के लिए क़ुर्आन खत्म करने का क्या हुक्म है?