आशूरा और मीलाद के अवसरों पर परिवार का एकत्रित होना
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आशूरा और मीलाद के अवसरों पर परिवार का एकत्रित होना
اجتماع العائلة في مواسم المولد وعاشوراء
] fgUnh & Hindi &[ هندي
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
محمد صالح المنجد
अनुवाद : साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
समायोजन : साइट इस्लाम हाउस
ترجمة: موقع الإسلام سؤال وجواب
تنسيق: موقع islamhouse
2012 - 1433
आशूरा और मीलाद के अवसरों पर परिवार का एकत्रित होना
क्या मौसमों (मौसमों से मेरा मक़सद मीलाद और आशूरा इत्यादि जैसे अवसर हैं) और ईदों में परिवारजनों -भाईयों और चचेरे भाईयों- का एकत्रित होना और एक साथ भोजन करना जाइज़ है ? तथा क़ुर्आन को याद करने (उसे खत्म) करने के बाद ऐसा करने वाले के बारे में क्या हुक्म है ?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि शरई (धार्मिक) ईदों (ईदुल फित्र और ईदुल अज़ह़ा) और खुशी के अवसरों पर भाईयों, चचेरे भाईयों और रिश्तेदारों का एकत्रित होना और भेंट मुलाक़ात करना खुशी और आनंद, प्यार की वृद्धि और परिवारजनों के बीच संबंध को मज़बूत बनाने के कारणों में से है। परंतु इन अधिकांश परिवार सम्मेलनों में पुरूषों और महिलाओं के मिश्रण के कारण, भले ही वे निकट संबंधी और चचेरे भाई आदि ही क्यों न हों, क़ुर्आन व हदीस के अदेशों : जैसेकि दृष्टि नीची रखने, श्रृंगार प्रदर्शन व बेपर्दगी का निषेध, गैर-महरम के साथ एकांत में होने, परायी महिला से हाथ मिलाने और फित्ने के अन्य कारणें की निषिद्धता का उल्लंघन करने वाली बुरी आदतों का घटन होता है। जबकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रिश्तेदारों के साथ लापरवाही से काम लेने के खतरे पर चेतावनी दी है, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "तुम महिलाओं पर प्रवेश करने से बचो।" तो अंसार के एक आदमी ने कहा: ऐ अल्लाह के पैगंबर ! देवर के बारे में आपका क्या विचार है ? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "देवर मौत है।" इसे बुखारी (हदीस संख्या : 4934) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2172) ने रिवायत किया है।
लैस बिन सअद कहते हैं: देवर- पति का भाई और उसके समान पति के अन्य रिश्तेदार जैसे चचेरेा भाई आदि। इसे भी मुस्लिम ने रिवायत किया है। (इख्तिलात -मिश्रण- के विषय पर प्रश्न संख्या: 1200 देखा जा कसता है)।
रही बात नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जन्म दिवस, या आशूरा, या इनके अलावा अन्य दिनों का समारोह करने और उसे लोगों के लिए एक अवसर और ईद बनाने की, तो हम यह बात वर्णन कर चुके हैं कि इस्लाम में ईद केवल दो दिन हैं, वे दोनों ईदुल फित्र और ईदुल अज़हा हैं, जैसाकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है। प्रश्न संख्या (5219), (10070) और (13810) देखिये। तथा आशूरा का समारोह आयोजित करने का हुक्म जानने के लिए प्रश्न संख्या (4033) देखिये।
जहाँ तक खुशी और आनंद का प्रदर्शन करने, तथा क़ुर्आन करीम के हिफ्ज़ (कंठस्थ) को मुकम्मल कर लेने वाले का जश्न मनाने के लिए परिवारजनों के एकत्रित होने का संबंध है, तो इन-शा अल्लाह इस में कोई आपत्ति की बात प्रत्यक्ष नहीं होती है, ये नवाचारित त्योहारों और उत्सवों में से हैं, परंतु यदि वे लोग इस दिन को ईद (त्योहार) बना लें जिसका प्रति वर्ष जश्न मनाने लगें, या इसी जैसी कोई अन्य चीज़ करें, तो इसकी बात अलग है। (अर्थात ऐसी स्थिति में यह आपत्तिजनक हो जायेगी।)
तथा ऐसा करना अधिक संभावित हो जाता है यदि क़ुर्आन का कंठस्थ करने वाला युवा है, जिसका प्रोत्साहन करने, तथा क़ुर्आन को याद रखने, उसका ध्यान रखने, उसे न भुलाने और उस से लापरवाही न करने पर उसके संकल्प को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होती है।