ज़कात निकालने का समय
श्रेणियाँ
- ज़कात << उपासनाएं << धर्मशास्त्र
- सामान्य फ़त्वे << फ़त्वे << धर्मशास्त्र
Full Description
ज़कात निकालने का समय
] हिन्दी & Hindi &[ هندي
इफ्ता की स्थायी समिति
अनुवादः अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
2013 - 1434
وقت إخراج الزكاة
« باللغة الهندية »
اللجنة الدائمة للإفتاء
ترجمة : عطاء الرحمن ضياء الله
2013 - 1434
#
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
मैं अति मेहरबान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ।
إن الحمد لله نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، وسيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وبعد:
हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) केवल अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह तआला हिदायत प्रदान कर दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करने वाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देने वाला नहीं। हम्द व सना के बाद :
ज़कात निकालने का समय
प्रश्नः
मुझे रजब के महीने में एक राशि प्राप्त हुर्इ, और मैं रमज़ान के महीने में उसकी ज़कात निकालना चाहता हूँ, तो क्या यह वैध है ? और इसका कारण यह है कि रमज़ान के महीने में ज़रूरतमंदों का पता चलता है।
उत्तरः
दोनों प्रकार के नक़दी सोने और चाँदी तथा उनके स्थान पर चलने वाले बैंक नोट और व्यापार के सामान में उस समय ज़कात अनिवार्य होती है जब वह उनमें से जिस चीज़ का मालिक है निसाब को पहुँच जाये और उस पर एक साल का समय बीत जाए। इस अधार पर, आप ने रजब के महीने में जो माल प्राप्त किया है उस पर उस वक़्त ज़कात अनिवार्य होगी जब उस साल के बाद वाले साल का रजब आ जाए जिसमें आप निसाब का मालिक बने हैं। किंतु अगर आप उसी साल के रमज़ान में जिसमें आप जक़ात के मालिक बने है बीती हुर्इ अवधि का, और वह दो महीना है, की जक़ात निकालना चाहें ताकि आपके साल की शुरूआत रमज़ान के महीने से हो, उस बात की वजह से जिसका आपने उल्लेख किया है, तो यह आपकी ओर से एहसान व भलार्इ है। और अगर आप साल बीतने से पहले ही उसकी सालाना ज़कात समयपूर्व निकालना चाहते हैं उस उप्युक्ता की वजह से जिसका आप ने वर्णन किया है तो आपके लिए ऐसा करना जायज़ है यदि उसे पहले निकालने के लिए कोर्इ सख्त ज़रूरत है, परंतु रजब के महीने में साल पूरा हो जाने के बाद उसे रमज़ान तक विलंब करना जायज़ नहीं है, क्योंकि उसका तत्काल (तुरंत) निकालना अनिवार्य है।
और अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला है, तथा अल्लाह तआला हमारे र्इश्दूत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दया और शांति अवतरित करे।
इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति
अब्दुल्लाह बिन क़ऊद (सदस्य)
अब्दुल्लाह बिन गुदैयान (सदस्य)
अब्दुर्रज़्ज़ाक़ अफीफी (उपाध्यक्ष)
अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ (अध्यक्ष)
“फतावा स्थायी समिति" (9/392 – 393).